जालंधर/आनंदपुर (नवनीत कौर) : पंजाब में होला मोहल्ला के अवसर पर बड़ी गिनती में निहंग व सिख समुदाय श्री आनंदपुर साहिब पहुंच चुके है। अमृतसर में भी आज नगर कीर्तन निकाला गया और श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने संगत को शुभकामनाएं दी हैं। तीन दिनों तक चलने वाला यह त्योहार सिख धर्म के लिए धार्मिक तोर पर काफी महत्वपूर्ण है। इस त्योहार के जरिए एकता और शूरवीरता का संदेश दिया जाता है।होला मोहल्ला पर होली के अगले दिन से शुरू होता है। यह त्योहार सिखों के पवित्र स्थल तख्त श्री केसरगढ़ साहिब, आनंदपुर में मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने की शुरुआत सिखो के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने 17वीं शताब्दी में की थी।

होला मोहल्ला के त्योहार की शुरुआत से पहले होली के दिन एक-दूसरे पर फूल और फूल से बने रंग डालने की परंपरा थी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने समुदाय को दो दलों में बांटकर एक-दूसरे के साथ युद्ध करने की सीख दी। इसमें विशेष रूप से फौज की तोर पर निहंग को शामिल किया गया, जो पैदल और घुड़सवारी करते हुए शस्त्रों को चलाने का अभ्यास करते थे। इसी लिए उस दिन से लेकर आज तक यह त्योहार होला मोहल्ला के रूप में मनाया जाता है और निहंग गतका खेलते है। इस दौरान जो बोले सो निहाल और झूल दे निशान कौम दे के जयकारे गूंजते रहते हैं।

















