दूसरे चरण का मतदान और EVM पर संग्राम: बिहार चुनाव 2025 का सबसे बड़ा विवाद
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण का चुनावी शोर 9 नवंबर को थम गया है। अब 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर 1302 उम्मीदवारों का भाग्य 3.70 करोड़ से अधिक मतदाताओं के हाथों ईवीएम में कैद होगा। हालाँकि, प्रचार थमने के बाद राजनीतिक गलियारों में एक नया ‘संग्राम’ छिड़ गया है, जिसका केंद्रबिंदु है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT।
EVM और VVPAT पर विपक्ष का ‘वोट चोरी’ का गंभीर आरोप
जैसे ही दूसरे चरण के लिए मतदान सामग्री का वितरण शुरू हुआ, विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। प्रमुख विपक्षी दल (जैसे RJD) ने आरोप लगाया कि राज्य के कुछ हिस्सों में VVPAT की पर्चियाँ सड़क किनारे बिखरी मिलीं, जबकि कुछ EVM स्ट्रांग रूम में CCTV कैमरे बंद कर दिए गए थे। विपक्षी नेताओं, जिनमें राहुल गांधी और तेजस्वी यादव प्रमुख हैं, ने इन घटनाओं को ‘वोट चोरी’ का प्रयास बताते हुए चुनाव आयोग (EC) को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
- विपक्ष के मुख्य आरोप:
- EVM/VVPAT स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में चूक।
- VVPAT की मॉक पोल पर्चियों का अनुचित निपटान।
- चुनाव आयोग के अधिकारियों पर सत्ताधारी दल के दबाव में काम करने का आरोप।
चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष का स्पष्टीकरण
इन आरोपों पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए, चुनाव आयोग ने कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण दिया है। आयोग ने समस्तीपुर जिले में VVPAT पर्चियाँ मिलने की घटना को ‘मॉक पोल’ से जुड़ी लापरवाही बताया और त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित सहायक रिटर्निंग अधिकारी (ARO) को निलंबित कर दिया तथा FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग ने यह भी दोहराया कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
सत्ताधारी गठबंधन (NDA) के नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को चुनाव में हार का डर बताया है। उनका कहना है कि जब भी विपक्ष को अपनी हार तय लगती है, वह EVM पर सवाल उठाना शुरू कर देता है। उन्होंने EVM की विश्वसनीयता पर जोर देते हुए विपक्ष को नकारात्मक राजनीति छोड़ने की सलाह दी।
दूसरे चरण का सियासी गणित: दिग्गजों का भविष्य दांव पर
EVM विवाद के साये में हो रहे दूसरे चरण के मतदान में कई प्रमुख उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य दांव पर है। इस चरण में कई महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं:
- प्रमुख क्षेत्र और उम्मीदवार: पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास जिले की सीटें शामिल हैं।
- इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय दलों के कई बड़े चेहरे मैदान में हैं, जिनके परिणाम न सिर्फ बिहार बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी तय कर सकते हैं।
निष्कर्ष: क्या EVM विवाद मतदान को प्रभावित करेगा?
बिहार चुनाव 2025 का दूसरा चरण अब केवल विकास या जातिगत समीकरणों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह लोकतंत्र की प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों के बीच हो रहा है। EVM और VVPAT पर राजनीतिक बयानबाजी मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकती है, वहीं दूसरी ओर, यह उन्हें मतदान के प्रति अधिक सतर्क भी बना सकती है।
चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई और विपक्ष की लगातार निगरानी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगी कि 11 नवंबर का मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष हो। वोटों की गिनती के दिन यह साफ हो जाएगा कि क्या EVM पर खड़े किए गए सवालों का परिणाम पर कोई असर हुआ है या यह महज एक चुनावी रणनीति थी। अब सबकी निगाहें दूसरे चरण के मतदान और फिर 14 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हैं।

















