जालन्धर/ (नेहा): अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 25% टैरिफ का लागू होना 27 अगस्त 2025 से संभव है, जो भारतीय वस्तुओं पर पहले से लगाए गए आयात शुल्क को दोगुना कर सकता है। इस घोषणा ने भारतीय बाजारों में बेचैनी पैदा कर दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ लागू होता है, तो भारत से अमेरिका निर्यात होने वाली वस्तुओं की लागत बढ़ जाएगी, जिससे निर्यातकों को नुकसान हो सकता है। भारतीय वस्त्र, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे प्रमुख निर्यात उत्पाद सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं।
भारतीय उद्योग जगत ने इस प्रस्तावित टैरिफ पर चिंता व्यक्त की है। एसोचैम और सीआईआई जैसे संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह अमेरिका के साथ वार्ता करके इस मामले को सुलझाए। वहीं, बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगर अमेरिकी टैरिफ लागू होता है, तो भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट आने की संभावना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए वैकल्पिक रणनीतियाँ अपनानी पड़ सकती हैं। इसमें उत्पादन लागत कम करना, नई मार्केट खोजने और मूल्य निर्धारण में सुधार करना शामिल हो सकता है।
सरकार ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि भारत दोनों देशों के हितों को देखते हुए समाधान खोजने में लगा है। भारतीय विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय संयुक्त रूप से अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ता कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि 27 अगस्त तक बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी। निवेशक और निर्यातक दोनों ही इस समय सतर्क हैं और वे अगले निर्णयों का इंतजार कर रहे हैं।
अमेरिका की यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों का एक परीक्षण भी माना जा रहा है। व्यापार जगत और निवेशक 27 अगस्त की तारीख तक सभी अपडेट्स पर नजर रखे हुए हैं।

















