पंजाब डेस्क: लोकसभा चुनावों के बाद अब पंजाब में लोगों की नगर निगम एवं पंचायत चुनावों पर नजर रहेगी कि कब सरकार इन चुनावों को करवाए।सरकार ने पंजाब में नगर निगम एवं नगर कौंसिल के चुनाव नहीं करवाए हैं। जनवरी 2023 में अमृतसर नगर निगम हाऊस भंग हो गया था, वहीं बाकि निगमों के भी हाऊस भंग हो गए थे। निगम एवं नगर कौंसियों की सारी कमान कमिश्नरों के हाथ आ गई थी। वहीं अफसरशाही अपनी मनमर्जी से काम करती है व लोगों के कामों में देरी होती है। वर्ष 2023 में निगम चुनाव करवाने के लिए सरकार के ऊपर काफी दबाव भी बनाया गया था व दीपावली के पास चुनाव होने को लेकर माहौल भी भी गर्मा गया था। निगम चुनावों में दावेदारियों को लेकर भी विभिन्न पार्टियों ने कमर कस ली थी व दावेदारों ने अपनी- अपनी वार्डों में दावेदारी के पोस्टर तक लगा दिए थे, लेकिन सरकार ने कोई तारिख तय नहीं की, अब सरकार को निगम चुनाव जल्द करवाने पड़ेंगे।
अमृतसर, जालंधर एवं लुधियाना की बात करें तो यह बड़ी नगर निगम हैं और यहां से कांग्रेस के सांसद विजयी हुई है। वहीं कांग्रेस के नेताओं एवं वर्करों का भी मनोबल बड़ा है, अगर दो-तीन माह के भीत्तर निगम चुनाव आ जाते हैं तो कांग्रेस को काफी फायदा मिल सकता है। अमृतसर में गुरजीत औजला ने जीत हासिल की, वहीं जालंधर में भारी लीड के साथ पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह – चन्नी ने जीत हासिल की है। वहीं लुधियाना में पंजाब प्रधान राजा – वडिंग ने जीत हासिल कर कांग्रेस को मजबूत किया हैं।पंजाब में नगर निगम एंव नगर कौंसिल चुनाव न करवाकर आम – आदमी पार्टी को लोकसभा चुनावों में काफी नुकसान हुआ है। अगर – निगम चुनाव करवाये होते तो उनके पार्षद फील्ड में ज्यादा काम करते – एव ग्राउंड लेवल पर पकड़ मजबूत होती। शहरी इलाकों में पार्टी के वोट बैंक का बुरा हाल हुआ है। शहर – इलाकों में तो लोगों का गुस्सा इस कदर फूटा है कि विधान सभा चुनावों में जिस तरह आप के हक में मतदान हुआ था, वहीं यह उल्ट हो गया। वह कुछ दूसरी पार्टी के नेताओं को पार्टी में शामिल करवाने को लेकर भी आप के फाउंडर मेंबर नाराज चल रहे थे।


















