
जालन्धर/(नेहा): भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 1 सितंबर को देश के कई हिस्सों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को रेड अलर्ट की श्रेणी में रखा गया है। वहीं दिल्ली और एनसीआर के लिए भी भारी बारिश की संभावना जताई गई है। लगातार बारिश और बाढ़ की स्थिति ने पंजाब में हालात और गंभीर कर दिए हैं, जहां इस साल अगस्त महीने में सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई।
पंजाब इस समय बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। राज्य के कई ज़िलों में नदियाँ उफान पर हैं, जिससे गाँव और कस्बे जलमग्न हो गए हैं। कृषि प्रधान राज्य होने के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। धान और मक्के की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। यह स्थिति न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन पर भी गहरा असर डाल रही है।
IMD ने किन राज्यों में रेड अलर्ट जारी किया?
IMD की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित राज्यों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है:
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पंजाब – सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य, जहां बाढ़ और लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
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हरियाणा – कई जिलों में जलभराव और नदियों के उफान से परेशानी बढ़ी।
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हिमाचल प्रदेश – पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और भारी बारिश का खतरा बढ़ गया है।
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उत्तराखंड – चारधाम यात्रा मार्ग पर कई जगहों पर अलर्ट जारी, यात्रियों से सावधानी बरतने की अपील।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश – गंगा-यमुना के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
इन राज्यों में जारी किया गया येलो अलर्ट
रेड अलर्ट के अलावा, IMD ने कुछ राज्यों को येलो अलर्ट की श्रेणी में रखा है। इनमें शामिल हैं:
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जम्मू और कश्मीर
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राजस्थान
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पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिले
येलो अलर्ट का मतलब है कि मौसम की स्थिति सामान्य से ज्यादा गंभीर हो सकती है और नागरिकों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
दिल्ली-NCR का मौसम
दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। 1 सितंबर को शाम 5:45 बजे तक ऑरेंज अलर्ट प्रभावी रहा।
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फरीदाबाद, नोएडा और गुरुग्राम में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया।
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गाज़ियाबाद को येलो अलर्ट के तहत रखा गया।
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गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए 2 सितंबर को भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया।
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दिल्ली के लिए हालांकि नई चेतावनी जारी नहीं की गई, लेकिन भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने सड़कों पर जलभराव की समस्या पैदा कर दी है। यातायात बाधित हो रहा है और कई इलाकों में बिजली कटौती की भी शिकायतें सामने आ रही हैं।
पंजाब में गंभीर हालात
लगातार भारी बारिश और बाढ़ ने पंजाब को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 3 लाख एकड़ से ज्यादा फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और 1,300 से अधिक गांव डूब गए हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से राहत कार्यों में सहयोग की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीएम मान से फोन पर बात कर हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। केंद्र सरकार ने राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF और SDRF की टीमों को तैनात किया है।
राहत और बचाव कार्य
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NDRF और SDRF की टीमें प्रभावित इलाकों में तैनात हैं।
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सेना और प्रशासन नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं।
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प्रभावित गांवों में स्कूलों और पंचायत भवनों को राहत शिविरों में बदला गया है।
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गुरुद्वारों और धार्मिक संस्थाओं ने बाढ़ पीड़ितों के लिए लंगर और राशन वितरण शुरू कर दिया है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की है। उनका कहना है कि बाढ़ ने पंजाब की कृषि और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुँचाया है।
वहीं समाजसेवी संस्थाएँ और आम नागरिक भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई युवा राहत कार्यों के लिए दान और मदद का अभियान चला रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से मॉनसून का पैटर्न लगातार बदल रहा है। इस साल अगस्त में हुई रिकॉर्ड बारिश ने पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत को प्रभावित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में सरकार को बेहतर जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण तंत्र विकसित करना होगा।
निष्कर्ष
IMD की चेतावनी से यह साफ है कि आने वाले दिनों में उत्तर भारत के कई हिस्सों में मौसम और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लोगों से अपील की जा रही है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें।
पंजाब के लिए यह समय बेहद कठिन है। बाढ़ से प्रभावित किसान और आम लोग राहत और पुनर्वास की उम्मीद लगाए बैठे हैं। केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों का सहयोग ही इस आपदा से निपटने का एकमात्र समाधान है।














