
चंडीगढ़, 5 सितंबर :
उत्तरी भारत में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने हालात बेहद गंभीर बना दिए हैं। खासकर पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में शामिल है, जहां अलग-अलग जिलों में आई भीषण बाढ़ से 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों परिवार अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
भारी बारिश और तबाही
पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश ने पंजाब की नदियों और नहरों को उफान पर ला दिया है। सतलुज, ब्यास और रावी जैसी प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। कई गांव पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं। लुधियाना, जालंधर, रूपनगर और फगवाड़ा सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके बताए जा रहे हैं।
लोगों की पीड़ा
बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। पंजाब सरकार ने एनडीआरएफ (NDRF), सेना और अन्य रेस्क्यू टीमों को राहत कार्य में लगाया है। अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन स्वच्छ पानी और दवाइयों की कमी के कारण बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।
किसानों पर दोहरा संकट
धान, मक्का और गन्ने जैसी प्रमुख फसलें पानी में डूबकर नष्ट हो गई हैं। पंजाब, जिसे देश का “अनाज का भंडार” कहा जाता है, अब बड़े आर्थिक नुकसान का सामना कर रहा है। किसानों का कहना है कि यह आपदा उनके लिए दोहरे संकट जैसी है—एक तरफ जान बचाने की जद्दोजहद और दूसरी तरफ आर्थिक तबाही।
सरकार की कार्रवाई
पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव मदद करेगी। राज्य सरकार ने केंद्र से भी आपदा राहत पैकेज और आर्थिक मदद की मांग की है। राहत और पुनर्वास के लिए विशेष फंड की घोषणा जल्द हो सकती है।
समाज का सहयोग
इस कठिन समय में गुरुद्वारे, सामाजिक संगठन और स्थानीय युवक भी लोगों की मदद में जुटे हैं। बाढ़ पीड़ितों के लिए लंगर सेवा, कपड़े और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। हर स्तर पर यह कोशिश की जा रही है कि कोई भी भूखा न सोए।
निष्कर्ष
पंजाब की यह बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि लाखों लोगों के जीवन की असली चुनौती बन चुकी है। लोग बेघर हो गए हैं, खेत-खलिहान बर्बाद हो गए हैं और स्वास्थ्य संबंधी खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार, समाज और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयास ही पंजाब को इस संकट से बाहर निकाल सकते हैं।
















