राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर यमुना नदी के प्रकोप से जूझ रही है। लगातार बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी के बाद यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। इसके कारण यमुना बाज़ार, मजनू का टीला कैंप, गीता कॉलोनी और निगमबोध घाट जैसे निचले इलाक़े पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। घरों में घुटनों से लेकर कमर तक पानी भर चुका है और सड़कों पर आवाजाही लगभग ठप हो गई है।
यमुना का जलस्तर बढ़ा, खतरा गहराया
मौसम विभाग और जल विभाग के अनुसार, लगातार बारिश और बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते यमुना नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ा है। प्रशासन ने पीला और नारंगी अलर्ट जारी किया है और निचले इलाक़ों के निवासियों को सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी गई है।
निचले इलाक़ों की हालत खराब
यमुना के किनारे बसे कई कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घरों के अंदर घुस गया है। मजनू का टीला और गीता कॉलोनी में लोग नाव और ट्रैक्टर की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाए जा रहे हैं। वहीं, निगमबोध घाट पर जलभराव के कारण अंतिम संस्कार में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। धार्मिक स्थल और सार्वजनिक जगहें पानी में डूब गई हैं जिससे आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
पानी की सप्लाई पर असर
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, बाढ़ के कारण पानी की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ा है। ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुँचने वाला कच्चा पानी सामान्य स्थिति (30–40 NTU) की तुलना में लगभग 7,000 NTU तक गंदला हो चुका है। इस वजह से पानी की सप्लाई बाधित हुई है और कई इलाक़ों में पीने का पानी टैंकरों और बोतलबंद पानी पर निर्भर है।
ट्रैफिक और ढांचा ठप
दिल्ली के कई बड़े रास्तों पर पानी भरने से यातायात ठप हो गया है। खासकर यमुना बाज़ार और आईटीओ इलाके में भारी जाम और रास्तों के बंद होने से लोगों को दिक़्क़त हो रही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी प्रभावित है, जिससे ऑफिस और कामकाज पर जाने वाले लोग घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं।
राहत और बचाव कार्य तेज़
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और पुलिस टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। अब तक 50 से अधिक राहत कैंप लगाए गए हैं, जहाँ बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। कई सामाजिक संस्थाएँ भी ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचा रही हैं।
जलवायु संकट और विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार आने वाली बाढ़ का कारण सिर्फ़ बारिश नहीं है बल्कि यमुना के बाढ़ क्षेत्र पर अवैध निर्माण और शहरी योजना की कमी भी है। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक बारिश और बाढ़ जैसी आपदाएँ और अधिक गंभीर होती जा रही हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली का यमुना बाढ़ संकट इस बात की बड़ी चेतावनी है कि शहर को बेहतर शहरी योजना, मज़बूत ड्रेनेज सिस्टम और आपदा प्रबंधन की सख़्त ज़रूरत है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन प्रभावित इलाक़ों में लोगों को अब भी विस्थापन, स्वास्थ्य समस्याओं और आजीविका की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

















