जालंधर/(नेहा):अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2025 में भारत से आयातित अधिकांश वस्तुओं पर 50% टैरिफ लागू करने की घोषणा की है। यह कदम भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदने की नीति के कारण उठाया गया है, जिसे अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध में रूस की सहायता के रूप में देखा है। इस निर्णय से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया है और भारतीय निर्यातकों के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई हैं।
टैरिफ के प्रभावी क्षेत्र:
यह टैरिफ भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित करेगा, जिनमें शामिल हैं:
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वस्त्र उद्योग: अमेरिका में भारतीय वस्त्रों पर 63.9% टैरिफ लागू होगा, जिससे निर्यात लागत में वृद्धि होगी।
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मणि और आभूषण: इस क्षेत्र पर 53.2% टैरिफ लागू होगा, जो व्यापारियों के लिए कठिनाइयाँ पैदा करेगा।
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सीफूड और रसायन: इन क्षेत्रों पर क्रमशः 58.5% और 54% टैरिफ लागू होगा, जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी।
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फर्नीचर और मशीनरी: इन पर 52.9% और 51.3% टैरिफ लागू होगा, जो निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
आर्थिक प्रभाव:
इस टैरिफ के लागू होने से भारत के निर्यात में लगभग 40 अरब डॉलर की कमी आने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर में लगभग 1% की गिरावट आ सकती है। इसके अलावा, लाखों श्रमिकों के रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर वस्त्र, आभूषण, और सीफूड उद्योगों में।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत सरकार ने इस टैरिफ को अनुचित और अस्वीकार्य बताते हुए इसकी आलोचना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरेलू उद्योगों की रक्षा करने का संकल्प लिया है और रूस से तेल खरीद जारी रखने की बात की है। इसके अतिरिक्त, भारत ने चीन और रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
भविष्य की दिशा:
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने के कारण दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। भारत को अब अपने निर्यातकों को नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना होगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय दोनों देशों के व्यापार संबंधों में महत्वपूर्ण मोड़ है। इससे न केवल भारतीय निर्यातकों को आर्थिक चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी, बल्कि वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य में भी बदलाव आ सकता है। भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे और घरेलू उद्योगों को सुदृढ़ करना होगा।


















