Karwa Chauth 2025: पूजा विधि, शुभ योग और दिल्ली, मुंबई में चांद निकलने का टाइम
नई दिल्ली: सुहागिनों का सबसे प्रिय त्योहार करवा चौथ इस वर्ष शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला (बिना पानी) व्रत रखती हैं।
अगर आप भी इस पवित्र व्रत की तैयारी कर रही हैं, तो यहां पूजा का शुभ मुहूर्त और आपके शहर में चंद्रोदय का अनुमानित समय दिया गया है ताकि आप विधि-विधान से पूजा संपन्न कर सकें।
करवा चौथ 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि 9 अक्टूबर, 2025 को देर रात शुरू होकर 10 अक्टूबर को समाप्त हो रही है। उदयातिथि के चलते व्रत 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा।
- करवा चौथ व्रत की तिथि: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
- चतुर्थी तिथि का आरंभ: 9 अक्टूबर, 2025 को रात 10:54 बजे
- चतुर्थी तिथि का समापन: 10 अक्टूबर, 2025 को शाम 07:38 बजे
- करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक
- कुल अवधि: 1 घंटा 14 मिनट
- उपवास का समय (दिल्ली के लिए): सुबह 06:19 बजे से रात 08:13 बजे तक
इस शुभ मुहूर्त में महिलाएं करवा माता (मां पार्वती) की पूजा करेंगी, व्रत कथा सुनेंगी और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करेंगी। इस वर्ष सिद्धि योग और शिववास योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जो पूजा के फल को और अधिक बढ़ाएंगे।
चंद्रोदय का समय (Moonrise Time) और व्रत पारण
करवा चौथ व्रत का सबसे महत्वपूर्ण क्षण चंद्रमा का दर्शन है। विवाहित महिलाएं छलनी (sieve) से पहले चांद को और फिर अपने पति को देखकर अर्घ्य देती हैं, और पति के हाथ से जल पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
10 अक्टूबर 2025 को प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का अनुमानित समय:
ध्यान दें: चंद्रोदय का समय मौसम और स्थानीय भौगोलिक स्थिति के अनुसार थोड़ा बदल सकता है।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
इस दिन सुबह सरगी खाने के बाद व्रत शुरू होता है। दिन भर निर्जला उपवास रखने के बाद, शाम को महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और शुभ मुहूर्त में पूजा करती हैं।
- पूजा की तैयारी: भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
- पूजा: करवा माता की पूजा करें, दीपक जलाएं और व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- चंद्र दर्शन: चंद्रोदय होने पर, चंद्रमा को छलनी से देखें और अर्घ्य (जल) अर्पित करें।
- पारण: चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद, छलनी से अपने पति का चेहरा देखें और उनके हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और अटूट बंधन को दर्शाता है।

















