लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चूका है। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा अब तक वोटिंग के लिए शेड्यूल की घोषणा नहीं की गई है लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा दिन ब दिन तेज होती जा रही है, जिसमें राजनीतिक समीकरणों से जुड़े दिलचस्प पहलू भी सामने आ रहे हैं। इनमें अगर पंजाब की बात करें तो इस राज्य को मालवा, माझा, दोआबा जोन में बांटकर देखा जाता है लेकिन लोकसभा सीटों की मार्किंग के दौरान शायद इस पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया। जिसका सबूत यह है कि मालवा, दोआबा में 2-2 तो माझा जोन में एक भी रिजर्व सीट नहीं है। यहां बताना उचित होगा कि माझा जोन में अमृतसर, गुरदासपुर व खंडूर साहिब की सीट शामिल है, जो सभी लोकसभा सीटें जनरल हैं। इसके मुकाबले मालवा में फतेहगढ साहिब, फरीदकोट और दोआबा में एक – दूसरे के साथ लगती जालंधर व होशियारपुर सीट रिजर्व की गई है।
अगर जोन की नजर से पंजाब को देखते हैं तो मालवा जोन ही सबसे बड़ा है और लोकसभा सीटें भी इसी जोन में सबसे ज्यादा है जिसमें लुधियाना, पटियाला, आनंदपुर साहिब, फतेहगढ साहिब, फरीदकोट, फिरोजपुर, बठिंडा, संगरूर सीट शामिल है
इनमें से पुरानी रोपड़ सीट की जगह लुधियाना व पटियाला से कुछ हिस्सा लेकर आनंदपुर साहिब व फतेहगढ साहिब सीट बनाई गई है। अगर मालवा में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं तो 30 साल के दौरान सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री मालवा से ही हुए हैं। इनमें मौजूदा मुख्यमंत्री भगवंत मान का संबंध भी मालवा से है इससे पहले मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी, हरचरण सिंह बराड़, राजिंदर कोर भटठल, बेअंत सिंह का संबंध भी मालवा से ही था।

















