Navratri Day 4: देवी कूष्मांडा की पूजा विधि और मंत्र

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देवी कूष्मांडा की पूजा करते हुए एक भक्त की तस्वीर

नवरात्रि का चौथा दिन: देवी कूष्मांडा की पूजा और महत्व

आज, नवरात्रि का चौथा दिन, देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कूष्मांडा को समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से सृष्टि की उस आदि शक्ति की आराधना का है, जिसने अपनी हल्की मुस्कान से इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। ‘कूष्मांडा’ नाम का अर्थ ही है ‘ब्रह्मांड की ऊर्जा का अंडा’, और यह इस बात का प्रतीक है कि इस पूरी दुनिया का निर्माण उन्हीं के गर्भ से हुआ है। देवी का यह रूप हमें जीवन की शुरुआत, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मकता का संदेश देता है।

देवी कूष्मांडा का स्वरूप और कथा

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला सुशोभित हैं। उनका आठवां हाथ सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली मुद्रा में रहता है। देवी सिंह पर सवार हैं, जो धर्म और शक्ति का प्रतीक है। उनकी दिव्य मुस्कान और तेज से ही इस ब्रह्मांड में सूर्य, चंद्रमा, तारे और अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ, इसीलिए उन्हें सूर्य के भीतर वास करने वाली देवी भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड चारों ओर से अंधकार और शून्य से घिरा हुआ था, तब देवी कूष्मांडा ने अपनी दिव्य शक्ति से एक ऐसे ‘अंडे’ (ब्रह्मांड) की रचना की, जिससे जीवन की शुरुआत हुई। इस ब्रह्मांड को उन्होंने अपनी ऊर्जा और प्रकाश से भरा। यही कारण है कि उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में नया प्रकाश और ऊर्जा मिलती है।


 

नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि

मां कूष्मांडा की पूजा बहुत सरल और फलदायी मानी जाती है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं। मां को लाल रंग बहुत प्रिय है, इसलिए लाल वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए आप निम्नलिखित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं:

  1. ध्यान और संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले, देवी का ध्यान करें और मन में अपनी मनोकामना का संकल्प लें।
  2. फूल: मां को लाल गुड़हल (हिबिस्कस) का फूल चढ़ाएं।
  3. भोग: इस दिन देवी को मालपुआ, हलवा और दही-भात का भोग लगाया जाता है। इन भोगों से माता रानी बहुत प्रसन्न होती हैं।
  4. मंत्र जाप: पूजा के दौरान देवी के मंत्रों का जाप करना सबसे महत्वपूर्ण है।

प्रमुख मंत्र:

  • ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः।
  • या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

इन मंत्रों का 108 बार जाप करने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  1. आरती: मंत्र जाप के बाद घी का दीपक जलाकर देवी की आरती करें और उनसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें।

 

मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व

मां कूष्मांडा की आराधना करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं:

  • आरोग्य और स्वास्थ्य: देवी कूष्मांडा को सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति देने वाली माना जाता है। उनकी कृपा से भक्त स्वस्थ और निरोगी रहते हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा: देवी की पूजा से जीवन में निराशा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे व्यक्ति में आत्म-विश्वास और साहस बढ़ता है।
  • सफलता और समृद्धि: देवी कूष्मांडा रचनात्मकता और नई शुरुआत की प्रतीक हैं। उनकी कृपा से भक्तों को करियर और व्यापार में सफलता मिलती है।
  • कष्टों से मुक्ति: जो भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार के दुख, शोक और भय दूर हो जाते हैं।

आज के दिन सच्चे मन से की गई पूजा और आराधना से मां कूष्मांडा अपने भक्तों को जीवन में अपार सुख, धन और सफलता का आशीर्वाद देती हैं। उनकी दिव्य शक्ति से भक्त सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं और जीवन में एक नई दिशा पाते हैं। इस नवरात्रि, मां कूष्मांडा की कृपा आप और आपके परिवार पर बनी रहे।

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